Wednesday, May 13, 2020

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की महती योजना : स्वाबलंबी भारत

कल माननीय प्रधानमंत्री  श्री नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्र के नाम संबोधन किया.  उनका यह अभिभाषण एक अभिभावक की तरह था, जैसे कोई अपने परिवार के सदस्यों को पूरे मनोयोग से समझा रहा हो. कम संसाधन  होने के बावजूद इस संकटकाल में  मोदी जी ने जिस प्रतिबद्धता से काम किया है उसका  संपूर्ण विश्व में  सराहना हो रही है.  यह हम भारतीयों के लिए  गर्व की बात है कि मोदी जी जैसे प्रधानमंत्री आज देश का नेतृत्व कर रहे हैं.
 माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी

         अपने संबोधन में वे  इस बात को  इंगित किया कि कोरोना रूपी यह महामारी लंबे वक्त तक रहेगा और यह लड़ाई लंबी चलने वाली है. और उन्होंने संकेत दिया कि लॉक डाउन 4.0 जोकि 18 मई से होगी.  लेकिन इस लॉकडाउन का  रूप रंग बिल्कुल ही अलग होगा. उनके कहने का तात्पर्य यह था कि लॉक डाउन के साथ-साथ विकास की गति को भी आगे बढ़ाना है. देश अभी मुश्किल दौर से गुजर रहा है. लाखों-करोड़ों गरीब लोगों पर आजीविका का संकट गहरा हो गया है.  उनका इशारा इस तरफ था अब कोरोना से लड़ाई के साथ साथ इस भूख गरीबी से भी मुकाबला करने के लिए संपूर्ण देशवासियों को खड़ा हो जाना चाहिए.
         इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने स्वदेशी और स्वावलंबन पर जोर दिया. उनके विचार से यदि राष्ट्र को इन चुनौतियों का सामना  करना है तो वह स्वदेशी अपना कर ही किया जा सकता है. उन्होंने जो ब्लूप्रिंट  तैयार किया है उसमें गरीब मध्यमवर्ग और छोटे उद्योग धंधों से लेकर बड़े उद्योग धंधों के लिए  एक राहत पैकेज  की घोषणा की है.
जो कि अब तक भारतीय इतिहास में सबसे बड़ी राहत पैकेज है. 20 लाख करोड़ का यह राहत पैकेज हमारे जीडीपी का 10% है. उन्होंने देश को बतलाया कि कैसे इस करोना संकट से पहले  देश में N 95  मास्क  और PPE किट  का उत्पादन बिल्कुल नग्न होता था.  लेकिन देश ने इस चुनौती को स्वीकार किया  जिसके परिणाम स्वरूप  आज  इस छोटे से काल में ही प्रतिदिन 2 लाख N 95  मास्क  और PPE किट  का उत्पादन  शुरू हो गया है. उनके कहने का मतलब था कि स्थानीय उत्पादन ही देश के काम आता है.


N 95  Mask

PPE kit
   अब माननीय प्रधानमंत्री का पूरा फोकस देश को स्वाबलंबन की तरफ ले जाने का है. इस संकट को भी किस तरह एक अवसर में बदला जाए  यह गुण विश्व के किसी राजनेता में है तो वह हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी में ही है.
   यह सुखद संयोग है की नियति ने भारतवर्ष के बड़े बड़े कामों को करने के लिए प्रधानमंत्री  श्री नरेंद्र मोदी जी को चुना.
 इतिहास उनकी प्रतीक्षा कर रहा है  कि उनके नेतृत्व में देश आत्मनिर्भर स्वाबलंबी और विकास के पथ पर अग्रसर हो.  जिससे कि समाज के सभी वर्गों का कल्याण हो  और समाज के अंतिम व्यक्ति तक  को इसका लाभ मिल सके.

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Sunday, May 10, 2020

माँ

    मातृ दिवस  माँँ के सम्मान में रखा गया एक संपूर्ण  दिन  होता है.  परंतु मैं सोचता हूं माता के सम्मान में एक दिन ही क्यों ?  हम सनातनीयों के लिए माँ प्रतिदिन सर्वदा पूजनीय  हैं.  मां सृष्टि की अनुपम कृति हैं .मां शब्द जेहन में आते ही ममता,  करुणा, प्रेम, त्याग, समर्पण की  प्रतिमूर्ति  बन जाता है.  इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि मां पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि है.
     
  माँ तो माँ होती है. सिर्फ जन्म देने से ही नहीं. अपनी ममतामयी आंचल में  लालन पालन करने वाली माँ का स्थान जन्म देने वाली मां से भी अधिक होता है. हमारी संस्कृति में ढेरों उदाहरण पड़े हुए हैं . जब भी योगेश्वर कृष्ण के नाम  के साथ यशोदा का ही नाम लिया जाता है ना कि  माता देवकी का. यही नहीं हमारी परंपरा संस्कृति में धरती को भी मां का दर्जा दिया गया है. जिनसे अन्न जल ग्रहण कर  हम अपना पालन पोषण करते हैं.

       हमारे सनातन धर्म में मां की परिभाषा इतना व्यापक और गहन है कि हम गाय जो कि दूध देती है जिसके दूध से हमारा पोषण होता है. उसे भी हम मां का दर्जा देते हैं.  जो कि पूरे संसार में किसी भी संस्कृति में यह चीज नहीं मिलता है.
       
अंत में  मातृ दिवस के अवसर पर  संसार की  समस्त माताओं को सहृदय से कोटी-कोटी वंदन.

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Friday, May 8, 2020

अनुपम यह चांदनी रात

 बारिश के बाद आज आकाश बिल्कुल साफ है.  प्रदूषण का नामोनिशान नहीं है ठंडी ठंडी हवाएं बह रही है.और उस पर से चांदनी रात अपने पूरे शबाब पर. चांद दूधिया रोशनी बिखेरता खूबसूरत नजारा पेश कर रही है.जिंदगी जब थम चुकी है मानव अपने घरों में कैद है.  प्रकृति नित्य नए रूप दिखला रही है. चांद तो पहले भी था और चांदनी रात भी.  परंतु इतना साफ और  चमकता चांद हमें बचपन की याद दिला रही है. जब हम गांव में होते थे प्रदूषण ना के बराबर होता था .तब चांदनी रात में इसी तरह का नजारा देखने को मिलता था .

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   प्रकृति की इस खूबसूरती को अपलक निहारते  हुए चांद की रोशनी आंखों में बसा लेने का मन करता है .आज हमें लग रहा है कि इस धन दौलत के चक्कर में मनुष्य ने क्या क्या खो दिया. प्रकृति का यह नैसर्गिक सौंदर्य जो किसी दौलत से नहीं खरीदी जा सकती. विचारों का बेग अपने चरम पर है.जीवन का यह अनमोल पल है .चांद की जिस खूबसूरती का वर्णन किताबों कहानियों और फिल्मों में हम देखते थे. आज वह साक्षात आप खुद महसूस कर सकते हैं.प्रकृति का यह शांत निर्मल  रूप किसी औषधि से कम नहीं है.  यही छोटी-छोटी चीजें हमें परम शांति प्रदान कर नवीन ऊर्जा से सराबोर कर देती है.
           इस मुश्किल घड़ी में जब दुनिया कोरोना रूपी वैश्विक महामारी से जूझ रहा है तब प्रकृति मुस्कुरा रही है हमें तो लगता है यह प्रकृति का इशारा है, संपूर्ण मानव के लिए अब तो मानव को सोचना चाहिए कि अपनी विकास यात्रा में वाह कितना कुछ खो चुका है.  क्यों विकास प्रकृति एक दूसरे के विरोधी है?? ऐसा नहीं हो सकता कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर विकास के पथ पर मानव अग्रसर  हो सके.

Wednesday, May 6, 2020

मौसम का मिजाज

सुबह का वक्त खिड़की से आती मंद-मंद  शीतल पवन के झोंके , चिड़ियों की मधुर कलरव ध्वनि से आज मेरी नींद टूटी.रात को हुई बारिश से ठंड का एहसास हो रहा हैं . आसमान में कुछ बादल भी लगे हुए हैं. मई के महीना में मौसम का यह रूप  किसी हिल स्टेशन की तरह लग रहा है. लॉकडाउन की बजह से वायु प्रदूषण अपने न्यूनतम स्तर पर है.  जिस कारण से शुद्ध एवं स्वच्छ प्राणवायु नवीन ऊर्जा और स्फूर्ति से भर दे रही है.    

 भोर की पहली किरण

       इस महीने में गर्मी अपने चरम पर होता था और अभी तक ए. सी और पंखे की जरूरत होती थी. बिना पंखा चलाएं हुए आप रह नहीं सकते थे. इस महीने में अभी तक इस तरह की नौबत नहीं आई है.    मेरी स्मृति में मई महीने में मौसम का यह रूप अभी तक देखने को नहीं मिली थी.  15 मई के बाद हाईकोर्ट में ग्रीष्मकालीन अवकाश हो जाता हैं लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से 21 मार्च  से  ही हम लोग छुट्टी पर हैं.  अभी तक लोग किसी हिल स्टेशन पर  छुट्टियां बिताने के लिए योजना  तैयार रहे होते थे. परंतु इस बार लॉकडाउन की वजह से आवागमन का साधन बिल्कुल ही बाधित हो गया है. लोगों को अपने घर पर ही रहकर  छुट्टियां बितानी पड़ेगी.     मौसम चक्र बिल्कुल ही परिवर्तित हो गया है.ऐसा लगता है कि  प्रकृति अपने मंथन काल में है.  इस बार गर्मी कम पड़ना यह तो समझ में आता है कि लॉकडाउन की बजह से प्रदूषण का स्तर बहुत कम हुआ है . परंतु ऋतु चक्र का यह परिवर्तन बेमौसम बरसात  हमारे किसान भाइयों के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है. पता नहीं इस बार प्रकृति अपना क्या-क्या रूप दिखलाएगी??     

     

लॉकडाउन और मेरी शादी की सालगिरह

6 मई मेरे जीवन की ऐसी तारीख है जो मैं उम्र  भर भूल नहीं सकता आज ही के दिन मैंने अपने विवाहित जीवन की शुरुआत की थी l एक निहायत खूबसूरत हमसफर के साथ परिणय सूत्र में आज ही के दिन बंधा था l हम दोनों की यह 9 वी सालगिरह है l 2011 में हमारी शादी हुई थी l 
                लेकिन प्रथम बार हम दोनों अपनी सालगिरह में एक दूसरे के साथ नहीं हैं lमेरी पत्नी अपने मायके मुजफ्फरपुर में है, जबकि मैं पटना में हूं l लॉकडाउन की वजह से न मैं उसे लाने के लिए मुजफ्फरपुर जा सकता हूं और ना वह मुजफ्फरपुर से पटना आ सकती है l खैर इसमें मैं अकेला नहीं हूं l लॉकडाउन के कारण संपूर्ण विश्व में लाखों-करोड़ों लोग अपने परिजन से नहीं मिल पा रहे हैं l
             आज उनका मेरे साथ ना होना पुरानी यादों को ताजा कर दिया है l कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें ,यह 9 साल  ऐसे बीत गए जैसे कि अभी कुछ ही दिन हुआ हो l मैं तो अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली मानता हूं कि रश्मि जैसी पत्नी मिली l एक समझदार घर परिवार को लेकर चलने वाली l  जो एक सामान्य गुण भारतीय बहु में होनी चाहिए वह सारा गुण इसमें हैं l परन्तु इसका यह मतलब नहीं कि वह पुरानी विचारधारा की नारी है l
 इतना सब कुछ होते हुए भी वह बिल्कुल ही आधुनिक सोच वाली नारी है l ऐसा भी कह सकते हैं कि वे परंपरा और आधुनिकता का  मिश्रण हैl
              जहां तक हम दोनों के दांपत्य जीवन का सवाल है. एक सामान्य पति पत्नी की तरह नोकझोंक होता ही रहता है. परन्तु फिर भी हम दोनों में प्रेम भी उतना ही है और जहां प्रेम होता है वही नोकझोंक भी होता है l  जीवन के हर मोड़ पर वह मेरे साथ चट्टान की तरह खड़ी रही है l 
               मेरे ख्याल से किसी भी सफल वैवाहिक जीवन के लिए प्रेम और समझदारी एक दूसरे के बीच होना नितांत आवश्यक है. मेरे लिए तो मेरी पत्नी मेरा स्वाभिमान है l आज मैं उनके बिना ही अपनी सालगिरह मना रहा हूं l  उसकी कमी खलना स्वभाविक है l हम दोनों ने एक दूसरे को वीडियो कॉल पर ही बधाई दे दी है l इन ही चंद शब्दों में अपनी भावना को व्यक्त करने के साथ ईश्वर से कामना करता हूं कि हमारा सुखद वैवाहिक जीवन इसी तरह बना रहे l

Tuesday, May 5, 2020

लॉकडाउन का पर्यावरण पर प्रभाव

 स्वच्छ हवा और ठंडे पवन के झोंके ,चिड़ियों की मधुर चहचहाहट,नीला आकाश ,नदियों का निर्मल कल-कल करता पानी, पशु पक्षियों का स्वच्छंद विचरण,  निर्मल स्वच्छ वातावरण आजकल यह नजारा बिल्कुल आम हो चला है l

स्वच्छ नीला आकाश


            लॉकडाउन  के कारण हर जगह वायु प्रदूषण खत्म सा हो गया हैl भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र से सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित हिमालय की पहाड़ियां दृष्टिगोचर होने लगी है l सीतामढ़ी शहर और उसके आसपास के लोगों के लिए यह कौतूहल का विषय बना हुआ है लोग अपनी-अपनी छतों से पर्वत चोटियों को देखकर अपने कैमरे में कैद कर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं l
          नासा की रिपोर्ट के अनुसार आज विश्व में दो दशकों से सबसे कम प्रदूषण है l गंगा यमुना तक का पानी साफ हो गया है lदेश के विभिन्न भागों जैसे जालंधर और सहारनपुर से हिमालय की चोटी का दर्शन हो रहा है करोना महामारी में लोगों का घर से बाहर निकलना तकरीबन बंद है लिहाजा वायु प्रदूषण का स्तर बेहद कम हो गया है  l यही नहीं रात में आकाश इतनी साफ हो गई है कि टिमटिमाते तारे साफ साफ देखे जा सकते हैं यह सब हमें अपने बचपन की याद दिला देती है जब हम छत से तारे गिना करते थे l
                   देश के विभिन्न भागों में औद्योगिक गतिविधियां बिल्कुल नग्न हो गई है l जिसके फलस्वरूप वायु की गुणवत्ता के साथ-साथ गंगा यमुना जैसी नदियों का जल बिल्कुल  स्वच्छ हो गया है  l हरिद्वार में गंगा जल इतना स्वस्थ हो गया है कि इसका आचमन भी किया जा सकता है l
विभिन्न नदियों  का पानी इतना साफ हो गया है कि जलीय जीव जंतु साफ-साफ दिखाई देने लगे हैं l

 मां गंगा का पावन तट 


                 करोना वैश्विक महामारी से जहां अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है वहीं आर्थिक गतिविधियां कम होने के कारण प्रकृति पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ा हैं, यहां तक कि कई समाचार पत्रों में पढ़ने को मिला है कि अंटार्कटिक महासागर के ऊपर बनी ओजोन परत में छेद भी भर चुकी है l
                 अत:मानव जब कुछ नहीं कर रहा है तब प्रकृति अपने आप को खुद स  सजा-सवार कर अपने मूल स्वरूप में आ रही है l जोकि संपूर्ण मानव जाति और जीव जंतुओं के लिए एक सुखद अनुभव है lलॉक डाउन तो हमेशा नहीं रहने वाला है ,आर्थिक गतिविधियां फिर से चालू होंगी लेकिन अब मानव का परम कर्तव्य है कि वह आर्थिक विकास  और पर्यावरण  में सामंजस्य बैठाकर विकास की ओर अग्रसर हो l जिससे  कि यह धरती सभी के रहने के काबिल बन सके l

Friday, May 1, 2020

लॉकडाउन और मजदूर


भवन निर्माण कार्य में लगा दिहाड़ी मजदूर

आज मजदूर दिवस है और मजदूरों की बात ना हो यह तो हो नहीं सकता l इस लॉकडाउन के समय देश के विभिन्न भागों में मजदूरों की जो स्थिति है l वह बहुत ही चिंताजनक है l कल कारखाने और सभी औद्योगिक काम बंद हो जाने के कारण  कोई रोजगार नहीं है और इनके पास बची-खुची जो भी रुपए पैसे थे, वह भी खत्म हो चुके हैं l उस पर से यह वैश्विक महामारी कोरोना,एक ही समय में सारी मुसीबत मजदूर भाइयों को बहुत ही दयनीय स्थिति में पहुंचा दिया हैं l देश के विभिन्न भागों में फंसे मजदूर अपने घरों को जाने के लिए लाखों की संख्या में पैदल ही निकल चुके हैं l क्योंकि लॉक डाउन खत्म होने की निकट भविष्य में कोई संभावना नजर नहीं आ रही है और बहुत सारे मजदूर भाई इस इंतजार में है कि सरकार उनके  घर जाने का प्रबंध करें l
             इन मजदूरों के लिए एक खुशखबरी है कि केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों के साथ समन्वय करके इन मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने का प्रबंध कर दिया है l इसके लिए देश के विभिन्न भागों से रेलगाड़ी चलेगी और स्क्रीनिंग के बाद जो व्यक्ति स्वस्थ हो जाएंगे ,उन्हीं लोगों को यात्रा की मंजूरी मिलेगी l

भारतीय रेलवे 


 इसके लिए सरकार की तरफ से प्रत्येक राज्य को नोडल ऑफिसर नियुक्त करने का आदेश मिला है l यह मजदूर अपने गृह प्रदेश पहुंचने के बाद भी अपने घर पर तब तक नहीं पहुंच पाएंगे l जब तक ये लोग 14 दिनों की कोरनटाइन न पूरा कर लेंगे l कोरनटाइन अवधि समाप्त होने के बाद ही वे अपने घर जा पाएंगे l
         इसके बाद भी इन मजदूरों की समस्या यहीं खत्म नहीं हो जाएगी l तब उनके सामने परिवार का भरण पोषण और रोजगार की समस्या उत्पन्न हो जाएगी l

अपने काम में व्यस्त मज़दूर


पता नहीं कब तक यह कोरोना वायरस  खत्म होगा.?? और इन गरीब मजदूरों का जीवन फिर से पटरी पर  लौट आए l