मातृ दिवस माँँ के सम्मान में रखा गया एक संपूर्ण दिन होता है. परंतु मैं सोचता हूं माता के सम्मान में एक दिन ही क्यों ? हम सनातनीयों के लिए माँ प्रतिदिन सर्वदा पूजनीय हैं. मां सृष्टि की अनुपम कृति हैं .मां शब्द जेहन में आते ही ममता, करुणा, प्रेम, त्याग, समर्पण की प्रतिमूर्ति बन जाता है. इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि मां पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि है.
माँ तो माँ होती है. सिर्फ जन्म देने से ही नहीं. अपनी ममतामयी आंचल में लालन पालन करने वाली माँ का स्थान जन्म देने वाली मां से भी अधिक होता है. हमारी संस्कृति में ढेरों उदाहरण पड़े हुए हैं . जब भी योगेश्वर कृष्ण के नाम के साथ यशोदा का ही नाम लिया जाता है ना कि माता देवकी का. यही नहीं हमारी परंपरा संस्कृति में धरती को भी मां का दर्जा दिया गया है. जिनसे अन्न जल ग्रहण कर हम अपना पालन पोषण करते हैं.
हमारे सनातन धर्म में मां की परिभाषा इतना व्यापक और गहन है कि हम गाय जो कि दूध देती है जिसके दूध से हमारा पोषण होता है. उसे भी हम मां का दर्जा देते हैं. जो कि पूरे संसार में किसी भी संस्कृति में यह चीज नहीं मिलता है.
अंत में मातृ दिवस के अवसर पर संसार की समस्त माताओं को सहृदय से कोटी-कोटी वंदन.
picture credit : Pinterest
माँ तो माँ होती है. सिर्फ जन्म देने से ही नहीं. अपनी ममतामयी आंचल में लालन पालन करने वाली माँ का स्थान जन्म देने वाली मां से भी अधिक होता है. हमारी संस्कृति में ढेरों उदाहरण पड़े हुए हैं . जब भी योगेश्वर कृष्ण के नाम के साथ यशोदा का ही नाम लिया जाता है ना कि माता देवकी का. यही नहीं हमारी परंपरा संस्कृति में धरती को भी मां का दर्जा दिया गया है. जिनसे अन्न जल ग्रहण कर हम अपना पालन पोषण करते हैं.
हमारे सनातन धर्म में मां की परिभाषा इतना व्यापक और गहन है कि हम गाय जो कि दूध देती है जिसके दूध से हमारा पोषण होता है. उसे भी हम मां का दर्जा देते हैं. जो कि पूरे संसार में किसी भी संस्कृति में यह चीज नहीं मिलता है.
अंत में मातृ दिवस के अवसर पर संसार की समस्त माताओं को सहृदय से कोटी-कोटी वंदन.
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