Tuesday, May 5, 2020

लॉकडाउन का पर्यावरण पर प्रभाव

 स्वच्छ हवा और ठंडे पवन के झोंके ,चिड़ियों की मधुर चहचहाहट,नीला आकाश ,नदियों का निर्मल कल-कल करता पानी, पशु पक्षियों का स्वच्छंद विचरण,  निर्मल स्वच्छ वातावरण आजकल यह नजारा बिल्कुल आम हो चला है l

स्वच्छ नीला आकाश


            लॉकडाउन  के कारण हर जगह वायु प्रदूषण खत्म सा हो गया हैl भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र से सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित हिमालय की पहाड़ियां दृष्टिगोचर होने लगी है l सीतामढ़ी शहर और उसके आसपास के लोगों के लिए यह कौतूहल का विषय बना हुआ है लोग अपनी-अपनी छतों से पर्वत चोटियों को देखकर अपने कैमरे में कैद कर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं l
          नासा की रिपोर्ट के अनुसार आज विश्व में दो दशकों से सबसे कम प्रदूषण है l गंगा यमुना तक का पानी साफ हो गया है lदेश के विभिन्न भागों जैसे जालंधर और सहारनपुर से हिमालय की चोटी का दर्शन हो रहा है करोना महामारी में लोगों का घर से बाहर निकलना तकरीबन बंद है लिहाजा वायु प्रदूषण का स्तर बेहद कम हो गया है  l यही नहीं रात में आकाश इतनी साफ हो गई है कि टिमटिमाते तारे साफ साफ देखे जा सकते हैं यह सब हमें अपने बचपन की याद दिला देती है जब हम छत से तारे गिना करते थे l
                   देश के विभिन्न भागों में औद्योगिक गतिविधियां बिल्कुल नग्न हो गई है l जिसके फलस्वरूप वायु की गुणवत्ता के साथ-साथ गंगा यमुना जैसी नदियों का जल बिल्कुल  स्वच्छ हो गया है  l हरिद्वार में गंगा जल इतना स्वस्थ हो गया है कि इसका आचमन भी किया जा सकता है l
विभिन्न नदियों  का पानी इतना साफ हो गया है कि जलीय जीव जंतु साफ-साफ दिखाई देने लगे हैं l

 मां गंगा का पावन तट 


                 करोना वैश्विक महामारी से जहां अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है वहीं आर्थिक गतिविधियां कम होने के कारण प्रकृति पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ा हैं, यहां तक कि कई समाचार पत्रों में पढ़ने को मिला है कि अंटार्कटिक महासागर के ऊपर बनी ओजोन परत में छेद भी भर चुकी है l
                 अत:मानव जब कुछ नहीं कर रहा है तब प्रकृति अपने आप को खुद स  सजा-सवार कर अपने मूल स्वरूप में आ रही है l जोकि संपूर्ण मानव जाति और जीव जंतुओं के लिए एक सुखद अनुभव है lलॉक डाउन तो हमेशा नहीं रहने वाला है ,आर्थिक गतिविधियां फिर से चालू होंगी लेकिन अब मानव का परम कर्तव्य है कि वह आर्थिक विकास  और पर्यावरण  में सामंजस्य बैठाकर विकास की ओर अग्रसर हो l जिससे  कि यह धरती सभी के रहने के काबिल बन सके l

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